आखिर ताजमहल किसने बनवाया? कोर्ट ने कहा- जनहित याचिका का मजाक नहीं उड़ाएं

कई दिनों से मीडिया में ताजमहल को लेकर चर्चाएं जारी है. दरअसल, अयोध्या के भाजपा नेता डॉ. रजनीश सिंह ने ताजमहल को लेकर एक याचिका दायर की है. जिसमें रजनीश सिंह ने इतिहासकार पीएन ओक की किताब ताजमहल का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि वास्तव में प्रेम का प्रतीक माना जाने वाला ताजमहल असल में तेजोमहालय है. जिसका निर्माण राजा परमर्दिदेव ने 1212 ईसवीं में कराया था. इतना ही नहीं, दायर की गई इस याचिका में इस बात का भी दावा किया गया है कि ताजमहल के बंद दरवाजों के भीतर भगवान शिव का मंदिर है.

इस मामले में करीब 45 मिनट की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने 12 मई को ही सवा दो बजे दोबारा से मामले की सुनवाई नियत कर दी. इस मामले में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘आप मानते हैं कि ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनाया है? क्या हम यहां कोई फैसला सुनाने आए हैं? जैसे कि इसे किसने बनवाया या ताजमहल की उम्र क्या है?’ आगे उच्च न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि आपको जिस टॉपिक के बारे में पता नहीं है, उस पर आप रिसर्च कीजिए, जाइए एमए कीजिए, पीएचडी कीजिए, अगर आपको कोई संस्थान रिसर्च नहीं करने देता है तो हमारे पास आइए.’

जिसके बाद याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय से कहा कि कृपया मुझे ताजमहल के उन 22 कमरों में जाने की अनुमति दें. जिसके जवाब में न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे तो कल आप आकर हमें माननीय जजों के चैंबर में जाने के लिए कहेंगे? कृपया जनहित याचिका प्रणाली का मजाक न बनाएं.’

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